Thursday, December 30, 2010

मंगल भवन अमंगल हारी! उमा सहित जेहिं जपत पुरारी !!

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे -हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
मित्रो...रामजी से विरोधाभास रखने वालों की क्या गति होती है ये प्रस्तुत पंक्तियों में जानें
काहूँ न बैठन कहा न ओही ! राखि को सके राम कर द्रोही !!
मातु मृत्यु पितु समन समाना ! सुधा होई बिष सुनु हरि जाना !!
मित्र करइ सत रिपु कई करनी ! ता कहं बिबुध नदी बैतरनी !!
सब जग ताहि अनलहु ते जाता !जो रघुबीर बिमुख सुनु भ्राता !!

भगवान के स्वरुप-लीला-धाम-मूर्ति-धर्मं-नाम से बैर रखने वालों को संसार में तथा अन्यत्र कहीं भी आसरा मिलना असंभव है राम बिरोधी से माता-पिता,मित्र,अमृत तथा सभी देवता-सम्बन्धी विपरीत व्यवहार करने लगते है अर्थात राम बिरोधी का विनाश अवश्यमेव है यद्यपि हमारे रामजी करुनानिधान हैं-अत्यंत कृपालु हैं रामजी किसी के अनिष्ट की नहीं देखते परन्तु राम बिरोधियों का पतन उनके स्वयं के कुकर्मों के द्वारा हुयी कर्म हानि के द्वारा होजाता है ..रामजी से विरोधाभास रखने पर स्वयं के भाग्य-सम्बन्धी-मित्र बिरोधी अर्थात हानि करने वाले हो जाते हैं मित्रो रामजी की कृपा - आशीर्वाद से  

अमंगल भी मंगल हो आनंद प्रदान करते हैं 
यथा-मंगल भवन अमंगल हारी! उमा सहित जेहिं जपत पुरारी !!
अतः हम सबको माता पार्वती - भगवान शंकर के साथ उनके  मानस हंस श्री रामजी को प्रतिदिन-प्रतिपल सुमिरन करना चाहिए --जय-जय सियाराम
 आईये सबके ह्रदय में माता के रूप में निवास करने वाली जगत जननी माता दुर्गा -माता पार्वती-
माता काली के चरणों में प्रणाम कर
"श्री रामचरित मानस" कम्युनिटी की सदस्यता ग्रहण कर ऑरकुट पर राधे-राधे कह हरि- नामामृतम लूटें -
साथ ही साथ भगवान भूतनाथ-करुनावतार-महादेव श्री विश्वनाथ भगवान शंकर को प्रणाम कर कृपाशीष प्राप्त करें


कर्पूरगौरम करुनावतारम संसारसारं भुजगेन्द्रहारं !
सदाबसंतम हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि!!  
"या देवि सर्व भूतेषु मात्र रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै-नमस्तस्यै-नमस्तस्यै नमो नमः "
 प्रेम से गायें --
 
हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे -हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे
श्री राधे श्याम- हरे कृष्ण हरे राम -श्री सीता राम -"भवानी शंकरौ वन्दे-श्रृद्धा विश्वास रुपिणौ "....
मित्रजन, भगवान के नाम लीला कथा रहस्य अत्यंत कृपा-कल्याण कारी  हैं ..भक्त-संत आज्ञा कर गए हैं कि  भगवान के चरित्र बड़े ही भाव-श्रृद्धा-विश्वास के साथ श्रवण करने चाहिए ..
यथा गोस्वामी जी श्री राम चरित मानस में लिखे हैं "उमा राम गुण गूढ़ पंडित मुनि पावहीं बिरति-पावहीं मोह बिमूढ़ जे हरी बिमुख न धर्म रति"..अर्थार्त..पंडित-मुनि भगवद चरित्रों को सुन-समझ कर वैराग्य प्राप्त करते हैं जबकि..जिनका मन श्री राम में नहीं है वो महामूर्ख  चरित्र सुनकर मोह को प्राप्त होते हैं..!..


जय सीता-राम -राधे-राधे-
मित्रो जगत में सदैव सद-बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि सद-विचारों से उन्नति-समृद्धि होती है एवं दुर्बुद्धि से हमेशा पतन-दुःख प्राप्त होते हैं -यद्धपि प्रत्येक मनुष्य में सद-बुद्धि(सुमति) एवं कुबुद्धि(कुमति) सामान रूप से विद्यमान रहती है-गोस्वामी तुलसी दास जी  राम-चरित-मानस में वर्णन कर रहे हैं-
"सुमति-कुमति सबके उर रहहीं-नाथ पुराण-निगम अस कहहीं
जहाँ सुमति तहां सम्पति नाना-जहाँ कुमति तहां विपति निदाना"

अतः..हमें भगवद चरनाश्रय ग्रहण कर समर्पित भाव से सुविचार शील हो-जगत में जीवन यापन करना चाहिए-
कृपया ध्यान रखें भगवान शंकर एवं भगवान विष्णु की निंदा करना तो दूर सुनना भी गौ-हत्या के समान पाप है.."हरि-हर निंदा सुनहिं जे काना- होई पाप गो घात समाना " 

..मेरा अनुरोध  ..हरि स्क्रेप्स पर व्यंग न करें-
प्रेम से गायें- 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे-हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका राधे -राधे
जय-जय सिया राम
 राधे-राधे





मेरा परिचय-मेरा काव्य

हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे !!

श्रीजी की कृपा भई-जन्म वृन्दावन धाम ! 
बृजवासी-ब्राह्मन कुल पायो राधा नाम !!  
प्रीति बढ़ी बृजधाम में  रटयो श्री राधा नाम !
मनमोहन की माधुरी मेरो जीवन काम !! 
श्री कृष्ण मिले प्रिया साथ में श्री यमुना के तीर !
भाव बढ्यो ऐसो अमित भक्तन संग की  रीत !!
रामचरित मानस कहन करौ ऑरकुट संग !
श्री राधे-राधे कह-कहा रंग्यो अनोखो रंग !!
प्रस्तुत करी कम्युनिटी रामचरित के लेख !
श्री राधे-राधे सुमिर के अब करूँ ब्लॉग अभिलेख !!
    -श्री राधे-श्याम
काहु के बल भजन को काहु के आचार !
व्यास भरोसे कुंवरि के सोवत पाँव पसार!!
हमारो धन राधा-राधा-राधा-राधा-राधा --परमधन राधा- श्री राधा- श्री राधा !
जीवनधन राधा-राधा-राधा-राधा-राधा -- परम धन राधा-श्री राधा श्री राधा !!
हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! 
हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे !!















8 comments:

  1. तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
    ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
    राधे-राधे

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  2. हरेकृष्ण महामंत्र आप भी मेरे साथ अवश्य लिखें एवं श्रीजी की कृपा प्राप्त करें -राधे-राधे
    !!हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे-हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे!!

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  3. जो आनंद सिन्धु सुख रासी ! सीकर तें त्रिलोक सुपासी !!
    सो सुख धाम राम अस नामा ! अखिल लोक दायक विश्रामा !!

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  4. हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे
    हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे

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  5. रघुनन्दन कृपा करी मिले रामचरित के गान ! प्रेम बढ्यो-श्रद्धा बढ़ी बनी श्रीजी सों पहिचान !!
    गावत रहूँ तुलसी सुधा सूरदास के बोल ! मीरा जी की भावना गिरधर-गिरधर तोल !!
    नाम स्मरण चैतन्य से सीखो कीर्तन रंग ! स्वामी श्री हरिदास को नित्य बिहार प्रसंग !!
    श्री हित हरिवंश की रीत में प्रीत प्रगट भई आय ! राधावल्लभ लाडिले मेरो मन तोकूँ ही ध्याय !!
    वृन्दावन में वास कर श्रीजी पदानुराग ! रसिकन संग वर्णन करूँ प्रियतम प्रीति भाग !!
    "स्वीटी राधिका"प्रमुदित सदा भक्ति-भक्त संयोग ! भगवंतहु सम्मुख सदा श्रीजी कृपा के योग !!

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  6. *गोविन्द दामोदर स्तोत्रं*

    -राधे-राधे-श्याम सुन्दर-



    करारविन्देन पदार्विन्दं, मुखार्विन्दे विनिवेशयन्तम्।
    वटस्य पत्रस्य पुटेशयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥

    श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेव।
    जिव्हे पिबस्वा मृतमेव देव, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    विक्रेतुकामाखिल गोपकन्या, मुरारि पादार्पित चित्तवृतिः।
    दध्यादिकं मोहावशादवोचद्, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    गृहे-गृहे गोपवधू कदम्बा:, सर्वे मिलित्वा समवाप्ययोगम्।
    पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    सुखं शयाना निलये निजेऽपि, नामानि विष्णोः प्रवदन्तिमर्त्याः।
    ते निश्चितं तन्मयतमां व्रजन्ति, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    जिह्‍वे दैवं भज सुन्दराणि, नामानि कृष्णस्य मनोहराणि।
    समस्त भक्तार्ति विनाशनानि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    सुखावसाने इदमेव सारं, दुःखावसाने इदमेव ज्ञेयम्।
    देहावसाने इदमेव जाप्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    जिह्‍वे रसज्ञे मधुरप्रिया त्वं, सत्यं हितं त्वां परमं वदामि।
    आवर्णये त्वं मधुराक्षराणि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    त्वामेव याचे मन देहि जिह्‍वे, समागते दण्डधरे कृतान्ते।
    वक्तव्यमेवं मधुरम सुभक्तया, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    श्री कृष्ण राधावर गोकुलेश, गोपाल गोवर्धन नाथ विष्णो।
    जिह्‍वे पिबस्वा मृतमेवदेवं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
    *स्वीट राधिका-राधे-राधे*
    ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥

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  7. shri radhey meri swamini men radhe ju ki daas
    janam-janam mohi dijiyo priya shri vrindavan vaas
    sab dwaran kun chhod ke main aayi tere dwaar
    aho brashabhanu ki ladili nenku meri or nihaar
    shri radhey meri swamini jivan dhan adhaar
    rasik sudha ras raj prabhu mahima amit apaar
    kunj bihari ladile shri shyama-shyam sarakar
    tere dwaar "sweetie" khadi tuk mere hit hu vichaar
    aho kripa mayi ladili nand ke lal gopaal
    "sweetie" jivan hit karen nit keli kunj bihaar
    shri radha vallabh ladile rasikan meet sujaan
    meri bhav badha harau main lakhun prem muskaan
    shri kirati suta shri swamini prem liyo avataar
    shri vrindavan ki vatika priya priyatam karen vihaar
    shri radhey-radhey ras sudha mere jivan geet
    murali manohar lal ki kahe shri radhey-radhey geet
    shyam sunadar ki muralika gavai radha naam
    "sweetie" sang sangit mili shri radhey-shyam ke naam
    hamaro dhan radha shriradha-shriradha
    jivan dhan radha-radha-radha-radha
    param dhan radha shriradha-shriradha
    pran dhan radha shriradha-shriradha
    hamaro dhan radha shriradha-shriradha
    hamaro dhan radha-radha-radha-radha-radha
    hamaro dhan radha shriradha-shriradha
    *jay-jay shri radhey shyam*

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  8. हिंडोरे माई झूलत गिरवरधारी।
    लाल सी पगिया शीश विराजत, लागत है छवि न्यारी॥
    वाम भाग में सोहत हैं राधे, शोभा बनी अति प्यारी॥
    झोटा देत सखी ललितादिक, पवन बहत सुखकारी॥
    बाजत ताल मृदंग बाजने, गावत सब मिल कारी॥
    कुंभनदास प्रभु की छवि ऊपर, सर्वस दौलत बारी॥
    JAY SHRI JHULANOTSAV - SHRI HARIYALI TEEJ _SHRI BANKE BIHARIJI VRINDAVAN !!

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